“जंगल-जंगल पता चला है, चड्डी पहन के फूल खिला है…”
कुछ दिन पहले डिज़्नी के नये जंगल बुक का हिन्दी ट्रेलर आया, गुलज़ार-विशाल के २० साल पुराने गाने के नये रूप के साथ. और मेरी उमर के आस-पास के सारे लोग सारे दिन इसी ट्रेलर को बार-बार-बार देखते रहे, और रोमांच का अनुभव करते रहे.
तो ये तो तय था कि फिल्म आते ही देखनी है. और हिन्दी में देखनी है. तो देखी, और ये रहे ६ पाइंट.
- फिल्म लाजवाब है. एक सेकंड के लिये भी मैं अपनी आँखें स्क्रीन से हटा नहीं पाया. और कहीं भी ऐसा लगा ही नहीं कि मोगली का किरदार एक जीते-जागते हाड़-माँस के लड़के ने निभाया है पर उन्हीं फ्रेम्स में जो भालू, तेंदुआ, भेड़िये इत्यादि हैं वह कंप्यूटर पर बनाये गये हैं.
- इफेक्ट्स मज़ेदार हैं. फिल्म ३डी में देखने लायक है, और कई ऐसे सीन हैं, जहाँ ३डी का प्रयोग कमाल का है.
- जिन्होंने ९० के दशक में दूरदर्शन पर आने वाला जापानी जंगल बुक देखा था, वे ज़रा अलग रूप की कहानी जानते हैं, पर ये फिल्म डिज़्नी की है, और डिज़्नी की कहानी पर ही चलती है.
- लेकिन, शेर खान के डायलॉग फिर से नाना पाटेकर की आवाज़ में सुनकर बचपन वापस आता-सा लगता है. इस के अलावा ओम पुरी का बघीरा, इरफ़ान का बलू, और प्रियंका चोपड़ा की का (एक हाल ही की निकम्मी सी फिल्म के नाम जैसा ये केवल संयोग से सुनाई पड़ता है), और बग्स भार्गव के किंग लूई के डायलॉग भी बेहद सटीक और मज़ेदार हैं – ऐसा लगता ही नहीं कि फिल्म अंग्रेजी में बना कर हिन्दी में केवल डब की गयी है. इस के अलावा मोगली के रूप में नील सेठी बहुत ही उम्दा है.
- मैं अंत तक हॉल में खड़ा रहा, ताकि “जंगल-जंगल बात चली है…” एक बार बड़े परदे पर देख सकूं, लेकिन मुझे निराश लौटना पड़ा. ये गीत फिल्म में नहीं है. लेकिन आखिर के क्रेडिट्स देखने लायक हैं.
- जिन्होंने १९६७ वाली डिज़्नी की जंगल बुक देखी है, उन्हें बलू और मोगली का गीत “बेयर नेसेसिटीज़” तो याद ही होगा. इस फिल्म में भी वही गीत है, पर चूंकि मैंने फिल्म हिन्दी में देखी, ये गाना भी हिन्दी में है, और मज़ेदार है. आखिर के क्रेडिट्स में किंग लूई वाला गाना दोहराया गया है, पर एनिमेशन बड़ा ही दिलचस्प है.